सौर ऊर्जा क्या है?
तो दोस्तों आज हम बात कराएंगे सोलर एनर्जी पर आपने अभी अभी लेटेस्ट स्पीच सुने होंगे हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी अयोधय मैं राम लल्ला क प्राण पर्तिशता क कार्यकर्म मैं की जिसमे उन्होंने सोलर पैनल मॉडल क बारे मैं बात की ओर जो मोदी जी न वादा किया है के 1 करोड़ सोलर मॉडल लगाएँगे
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!तो हम बात करेंगे क ये कैसे लगता है क्या क्या चीज़ इसको बनाए मैं इस्तेमाल होते है और ये कैसे कार्य करता है तो सुरु करते है
सौर ऊर्जा की तकनीकी नवीनताएं
सोलर पैनल लगा होगा लेकिन एक कैसे काम करता है किसी को भी नहीं मालूम होगा लेकिन आज आपको मालूम चल जाएगा क्यों दोस्तों इस झुलसा देने वाली गर्मी में भला कूलर एसी के बिना चैन कहां है और जब तक आपका मोबाइल फोन 50% से ज्यादा चार्ज नहीं होता तब तक आपके दिल की धड़कन तेज ही रहती होगी क्यों सही गाना हमने अरे में पता है कि आप सभी अपने मोबाइल फोन या लैपटॉप कंप्यूटर में हमारी इस वीडियो को देख रहे होंगे जिसका हिसाब मतलब है कि आपके पास पर्याप्त मात्रा में बिजली मौजूद है पर क्या आपको पता है हमारी पूरी पृथ्वी में जितनी बिजली इस्तेमाल की जाती है उसके 10000 गुना ज्यादा पावर हमारे सोलर एनर्जी जनरेट करती है अब आप खुद ही सोचिए कि अगर पूरी दुनिया में सोलर पैनल लगवा दिया जाए तो पूरी दुनिया का नक्शा बदल जाएगा और जहां न सिर्फ हमारे पास पर्याप्त मात्रा में बिजली होगी बल्कि उन बिजली की दर भी बहुत ज्यादा कम होगी लेकिन ऐसा क्यों नहीं हो पा रहा है और क्यों पूरी दुनिया प्रकृति की इतनी अनमोल चीज को यूं ही जयकर रही है
हमने आपको बताया कि सोलर एनर्जी कितनी ज्यादा कारगर साबित हो सकती है जो पूरी दुनिया के इलेक्ट्रिसिटी की समस्या को खत्म कर सकती है लेकिन सबसे पहले सवाल यह आता है कि आखिर सोलर पैनल्स काम कैसे करते हैं यानी कि कैसे सोलर पैनल सोलर एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में कन्वर्ट करते हैं और दोस्तों इस चीज को जानने के लिए सबसे पहले हम आपको यह बता दें कि सोलर पैनल्स सोलर सेल से बनते हैं और सबसे ज्यादा बड़ा सोलर सेल सिलिकॉन को माना जाता है जो की एक तरह का सेमीकंडक्टर है जो हमारी पृथ्वी में पाया जाने वाला दूसरा सबसे प्रचुर मात्रा में मौजूद एलिमेंट है और दोस्तों सोलर सेल सेक्रिस्टल और सिलिकॉन कंडक्टिव लेयर्स के बीच में सैंडविच की तरह मौजूद होता है और हर सिलिकॉन आइटम अपने पड़ोसी सिलिकॉन एटम से चार स्ट्रांग बॉन्ड से जुड़ा होता है जो इलेक्ट्रोंस को अपनी जगह पर रखते हैं दोस्तों काफी साइंटिफिक चीज है लेकिन हम आपको बहुत साधारण भाषा में इसे समझने की कोशिश करता है जहां पर हर सिलिकॉन सोलर सेल दो अलग तरह की लायर्स इस्तेमाल करता है जिसमें एक होता है और टाइप सिलिकॉन जिसके अंदर एक्स्ट्रा इलेक्ट्रॉन मौजूद होता है
अपने घर में सौर ऊर्जा का उपयोग कैसे करें
दूसरा होता है पी टाइप सिलिकॉन जिसके अंदर इलेक्ट्रॉन के लिए एक्स्ट्रा जगह मौजूद होती है और जब यह दोनों अलग-अलग तरह के सिलिकॉन लेयर्स मिलते हैं तो इलेक्ट्रॉन पीएन जंक्शन में घूमते हैं जिसमें एक तरफ इलेक्ट्रॉन पॉजिटिव चार्ज छोड़ते हैं और दूसरी तरफ नेगेटिव चार्ज क्रिएट करता है दोस्तों अगर आप सोलर लाइट के बारे में सोचेंगे तो आपको यह ख्याल आएगा कि इसमें बहुत ही छोटे-छोटे पार्टिकल्स मौजूद होते हैं जिन्हें फोटोस कहा जाता है और यह सूरज की रोशनी के साथ निकलते हैं ऐसे में दोस्तों में फोटोस जब काफी हाई एनर्जी के साथ सिलिकॉन सेल से जाकर मिलते हैं तो इलेक्ट्रॉन के बंद से जाकर टकराते हैंजिसकी वजह से हॉल बन जाता है और फिर नेगेटिव चार्ज इलेक्ट्रॉन अब पूरी तरह से मूवमेंट करने के लिए फ्री हो जाता है इसी वजह से दोस्तों जितने भी इलेक्ट्रॉन है वह सेल के टॉप में मौजूद मोती मेटल की फिंगर में जाकर कलेक्ट हो जाते हैं और वहां से एक्सटर्नल सर्किट में फ्लो करता है और तब जाकर इलेक्ट्रिक एनर्जी बनती है वैसे यह तो काफी साइंटिफिक भाषा हो गई लेकिन अगर हम आसान भाषा में आपको समझाएं तो सिलिकॉन एक सेमीकंडक्टर है यानी कि कंडक्टर का भी काम करता है और इंसुलेटर का भी काम करता है जा इसमें दो तरह के टाइप होते हैं यानी पी और न जैसा कि आप नाम से समझ गए होंगे पी टाइप यानी पॉजिटिव एंड टाइप यानी नेगेटिव जहां दोनों को साथ में रखा जाता है और जब रोशनी सूरज की उन पर पड़ती है तो पॉजिटिव से नेगेटिव इलेक्ट्रॉन फ्लो करता है
आपको पता होगा इलेक्ट्रॉन बिजली के बहुत ही सूक्ष्म कारण होते हैं जो जब मुंह करते हैं तो बिजली पैदा होती है यानी कि इस चीज को हमें इलेक्ट्रिक एनर्जी कहते हैं अब सूरज से निकलने वाली रोशनी से जो छोटे-छोटे कान यानी फोटोस निकलते हैं वह सिलिकॉन के सोलर पैनल पर पड़ता है तो इलेक्ट्रॉन का मूवमेंट होता है औरफिर जाकर इलेक्ट्रिसिटी जनरेट होती है तब हमें नहीं लगता कि सोलर पैनल में काम करने के तरीके बारे में कोई भी आपको शक होगा क्योंकि हमने साइंटिफिक तरीके से लेकर हमारे देसी भाषा में आपको सब समझा दिया है अब इसी चीज से जुड़े एक और बात है वह यह है कि अगर सोलर पैनल से इलेक्ट्रिसिटी इतने अच्छे तरीके से जनरेट हो सकती है तो फिर पूरी दुनिया में सोलर पैनल लगाए क्यों नहीं जाते क्योंकि इससे नेचुरल रिसोर्स का इस्तेमाल भी हो जाएगा और बिजली का जो इतना भारी रेट लोगों को चुकाना पड़ता है वह भी काम हो जाएगा तो दोस्तों जवाब के तौर पर हम आपसे सिर्फ इतना कहना चाहेंगे कि इन सब चीजों को करने के लिए बहुत ही भारी मात्रा में हर देश की सहमति होने के साथ-साथ चीजों की सही व्यवस्था भी होनी चाहिए क्योंकि अगर भारी मात्रा में सोलर पैनल बनने लगेंगे तो इसकी भी संभावना है कि उनके एफिशिएंसी यानी कि काम करने का सही तरीका भी खराब हो जाए क्योंकि अभी भी हम पूरी तरह से निश्चित तौर पर नहीं कह सकते कि एक सोलर पैनल कब तक चल सकता है जिसकी वजह से जब कभी भी किसी के घर में सोलर पैनल अचानक से खराब हो जाएगा तो लोगों को काफी समस्या बिजली कीदेखनी पड़ेगी